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एक दिन चाँद से की थी गुजारिश हमने,
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मेरी “श्याम बाबा” से करवाओ मुलाकात कभी…
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चाँद भी मुस्कुरा कर टाल गया, कहा मत कर शर्मिंदा अभी…
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तेरे “श्याम” को देख कर फिर ना कभी चमक पाऊंगा,
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रौशनी तेरे “श्याम “की है कुछ अलग, शायद मैं खुद ही खो जाऊंगा ! ??? ????
एक दिन चाँद से की थी गुजारिश हमने
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