कड़वी गोलियाॅं चबाई नहीं निगली जाती हैं

*कड़वी गोलियाॅं चबाई नहीं,*
*निगली जाती हैं”**

*उसी प्रकार जीवन में…*
*अपमान, असफलता, धोखे जैसी*
*कड़वी बातों को सीधे गटक जायें* ,

*उन्हें चबाते रहेंगे,*
*यानि याद करते रहे…तो*
*जीवन कड़वा ही होगा।*
? *प्रणाम सुप्रभात* ?


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