ब्रज रज उड़ के मेरे शीश लगे

ब्रज रज उड़ के मेरे शीश लगे ,
गुणगान किशोरी के गायौ करूं ।।
यमुना जलपान करू नित ही,
उर ध्यान बिहारी कौ लायौ करूं ।।
कहै माधव रूप निहारौ अलि बनि,
प्रेम प्रसादहि पायौ करूं* ।।
यही आसा मेरी ब्रज वास सदां ,
ब्रजवासी ही बनि कैं आयौ करूं ।।

​जय श्री कृष्णा ? राधे राधे​


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