मुखो पवित्रं यदि रामनामं

मुखो पवित्रं यदि रामनामं।
हृदय पवित्रं यदि ब्रह्म ज्ञानं।।
चरणौ पवित्रं यदि तीर्थ गमनं।
हस्तौ पवित्रं यदि पुण्य दानं।।

भावार्थ:-
“राम नाम से मुँह पवित्र होता है,
ब्रह्मज्ञान से ह्रदय पवित्र होता है,
तीर्थ गमन से चरण पवित्र होते है,
और दान पुण्य से हाथ पवित्र होते है ।

‼जय सियाराम‼


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