मेरा भी खाता खोल दो साँवरिया

मेरा भी खाता खोल दो “साँवरिया” अपने दरबार में
आता रहूँ वृंदावन निरंतर लेन – देन के व्यापार में ।
मेरे कर्मो के मूल पर आपके दर्शन का ब्याज लगा देना ।
जो ना चुका पाऊँ उधार तो अपना सेवादार बना देना ।।
जय श्री बांके बिहारी लाल की
Զเधे Զเधे

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