फागुन आता देखकर उपवन हुआ निहाल

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?फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल,
अपने तन पर लेपता, केसर और गुलाल।

तन हो गया पलाश-सा,
मन महुए का फूल,
फिर फगवा की धूम है, फिर रंगों की धूल।

??जय जय श्री राधकृष्णा???
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