​बृजराज से नाता जुङा है जब​

​?‼कान्हा ‼?​

​बृजराज से नाता जुङा है जब​
, ​इस जग की क्या परबाह करेँ​।
​बस याद मेँ उनकी रोते रहे​
​पलकोँ पर अश्रू प्रवाह करेँ​,
​जितनी वो दूर रहेँ हमसे​
​उतनी हम उनकी चाह करेँ।​
​सुख अदभुत प्रेम की पीरा मेँ है​
, ​हम आह भरेँ वो वाह करेँ…​

?‼?राधे ?‼?


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