Home शुभ संध्या / शुभ रात्री कभी आह ओठो पे आकर

कभी आह ओठो पे आकर

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हे सांवरे :~कभी आह ओठो पे आकर।।
मचल गयी ।।
कभी आंसू बनके आंख से ।।
ढल गये ।।
ये तुम्हारे गम के चिराग है ।।
कभी बुझ गये कभी जल गये ।।
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जय श्री राधे क्रष्ण
शुभ रात्रि वंदन

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