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???ऍ मोहन???
कैसे बखान् करुँ तेरी रहमत का तुमने अपने दर का ठिकाना दिया है
कट रही थी कुछ यू उल्फत मे ज़िंदगी
तेरी बंदगी ने जीना सिखा दिया है
जीभा तेरा नाम लगी रटने तुमने नाम रूप लीला का दर्श करा दिया है
बस इक इल्तजा है तुमसे अपने से दूर कभी मत करना
सब चिरांग बूझा कर तेरा इक चिरांग जला दिया है???????♀️??
कैसे बखान करुँ तेरी रहमत का
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