।।श्री हरि:।।
हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!
? जो हमारेसे धन-सम्पत्ति,सुख-सुविधा,मान-आदर,पूजा-सत्कार आदि कुछ भी चाहता है, वह हमारा कल्याण नहीं कर सकता।।१५०।।
श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज
।।श्री हरि:।।
हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!
? जो हमारेसे धन-सम्पत्ति,सुख-सुविधा,मान-आदर,पूजा-सत्कार आदि कुछ भी चाहता है, वह हमारा कल्याण नहीं कर सकता।।१५०।।
श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज