न मेरा कोई रूप ही है और न ही कोई अंत

???जय श्री राधाकृष्ण???

“मुझे प्रवेश करने के लिए किसी द्वार की आवश्यकता नहीं है,,न मेरा कोई रूप ही है और न ही कोई अंत,,मैं सदैव सर्वभूतों में व्याप्त हूँ,,जो मुझपर विश्वास रखकर सतत् मेरा ही चिन्तन करता है,,उसके सब कार्य मैं स्वयं ही करता हूँ और अंत में उसे श्रेष्ठ गति देता हूँ।”

? जय श्री राधाकृष्ण ?
? जय श्री राधे राधे? ? *शुभ रात्रि*???


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