राधे नाम का गहना पहना,,अब में क्यों श्रंगार करूं,,
निंदा चुगली करके क्यों में,,जीवन को बेकार करूं,,
जाऊं तो में वृंदावन जाऊं,, गाऊं तो राधे के गुण गाऊ,,
रिश्ते सारे स्वार्थ भरे है,, क्यों न राधे से प्यार करूं,,
प्रेम यदि देह से हो तो कष्ठ बन जाता है,,प्रेम यदि परमात्मा से
हो तो आंनद बन जाता है,, हरि बोल,, श्री राधे
राधे नाम का गहना पहना
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